भारत त्योहारों की भूमि है। अधिकांश भारतीय त्यौहार चंद्र गति (तिथि) पर आधारित होते हैं, यही कारण है कि त्योहारों की तारीखो में हर साल कई दिनों का अंतर होता हैं। मकर संक्रांति जैसे कुछ त्योहार सूर्य की गति पर आधारित होते हैं, इसलिए तारीख अधिकतर निश्चित होती है या अधिकतम 1 दिन आगे या पीछे हो सकती है। आने वाले त्योहारों की सूची नीचे दी गई है, त्योहारों की वर्षवार सूची देखने के लिए आप (और देखे) पर क्लिक करके 100 वर्षों की सूची देख सकते हैं।
मुहूर्त किसी भी महत्वपूर्ण कार्य को शुरू करने के लिए शुभ समय निकलने के लिए प्रयुक्त होता है। मुहूर्त निकलने के लिए मुख्यतः पंचांग (तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण) का प्रयोग किया जाता है और क्षय/वृद्धि तिथि, अस्त बृहस्पति/शुक्र, अधिक मास/पुरुषोत्तम मास/मल मास, होलाष्टक, दक्षिणायन सूर्य आदि से ज्यादातर बचा जाता है। सामान्य मुहूर्त का उपयोग आने वाले दिनों में किसी भी महत्वपूर्ण कार्य को शुरू करने के लिए किया जा सकता है जहां उस कार्य से संबंधित कोई विशेष मुहूर्त उपलब्ध नहीं है। पूरे वर्षवार सूची के लिए, कृपया (और देखे) पर क्लिक करें। (गृह प्रवेश), (वाहन खरीदना), (व्यवसाय शुरू करना), (नामकरण), (अन्नप्राशन), (मुंडन), (कान छिदवाना), (विद्यारंभ) जैसे विशिष्ट मुहूर्त देखने के लिए कृपया (मुहूर्त) पर क्लिक करें।
दिन-प्रतिदिन की महत्वपूर्ण गतिविधियों को तय करने के लिए सूर्य/चंद्र उदय और अस्त का समय महत्वपूर्ण होता है। आज के सूर्य उदय, चंद्र उदय, सूर्य अस्त, चंद्र अस्त, दिन की अवधि (घंटों में), रात की अवधि (घंटों में) और राहु काल के प्रारंभ और समाप्ति समय का समय नीचे देखें। दिनवार सूची देखने के लिए, कृपया (और देखे) पर क्लिक करें।
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सूर्योदय समय
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सूर्यास्त समय
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चन्द्रोदय समय
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चन्द्रस्त समय
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दिनमान
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रात्रिमान
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राहु काल
पचांग के 5 भाग होते हैं जो तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण हैं। आज के पंचांग का विवरण समाप्ति समय के साथ नीचे दिया गया है। भविष्य और पिछली तारीखों का पचांग जानने के लिए कृपया (और देखे) पर क्लिक करें।
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तिथि
(समाप्ति ) -
तिथि
(समाप्ति ) -
पक्ष
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नक्षत्र
(समाप्ति ) -
नक्षत्र
(समाप्ति ) -
योग
(समाप्ति ) -
योग
(समाप्ति ) -
करण
(समाप्ति ) -
करण
(समाप्ति ) -
करण
(समाप्ति ) -
वार
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पूर्णिमांत मास
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अमांत मास
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शक सम्वत
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विक्रम सम्वत
होरा प्रत्येक दिन में शुभ मुहूर्त निकालने में सहायक होती है। किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए कार्य प्रारंभ करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। सभी कार्य ग्रहों से किसी न किसी रूप में संबंधित होते हैं और यदि उस ग्रह की होरा में वह कार्य प्रारंभ किया जाता है तो उसके सफल होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।
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दिन
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रात्रि
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चौघड़िया का व्यापक रूप से उपयोग तब किया जाता है जब उस कार्य से सम्बंधित कोई विशिष्ट मुहूर्त उपलब्ध नहीं होता है और कार्य को जल्द से जल्द करना होता है। इसका उपयोग किसी जरूरी यात्रा को शुरू करने के लिए भी किया जाता है। चौघड़िया की गणना दिन और रात की अवधि को 16 भागों (दिन में 8 और रात में 8) में विभाजित करके की जाती है।
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दिन
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रात्रि
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