ज्योतिष् शास्त्र

भारतीय ज्योतिष, जिसे वैदिक ज्योतिष भी कहा जाता है, एक गहन आध्यात्मिक प्रणाली है जो जन्म के समय ग्रहों की स्थिति के माध्यम से मानव जीवन को समझती है। यह वेद जैसे प्राचीन शास्त्रों पर आधारित है और इसे बारह राशियों, नौ ग्रहों, बारह भावों और सत्ताईस नक्षत्रों में विभाजित किया गया है। यह व्यक्तित्व, रिश्तों, स्वास्थ्य और करियर पर अंतर्दृष्टि प्रदान करता है और दशा प्रणाली (जीवन अवधि), योग (ग्रह संयोजन), और गोचर (गोचर) जैसी विधियों का उपयोग करता है। ग्रहों के प्रभाव को संतुलित करने के लिए मंत्र, रत्न, और दान जैसे उपाय सुझाए जाते हैं। भारतीय संस्कृति में गहराई से जुड़े वैदिक ज्योतिष का जीवन निर्णयों, त्योहारों और आध्यात्मिक विकास में महत्वपूर्ण स्थान है।

त्यौहार

भारत त्योहारों की भूमि है। अधिकांश भारतीय त्यौहार चंद्र गति (तिथि) पर आधारित होते हैं, यही कारण है कि त्योहारों की तारीखो में हर साल कई दिनों का अंतर होता हैं। मकर संक्रांति जैसे कुछ त्योहार सूर्य की गति पर आधारित होते हैं, इसलिए तारीख अधिकतर निश्चित होती है या अधिकतम 1 दिन आगे या पीछे हो सकती है। प्रत्येक त्योहार का महत्व क्षेत्र के अनुसार भिन्न होता है, जो भारत की सांस्कृतिक विरासत की समृद्धि और भिन्नता को प्रदर्शित करता है। आने वाले त्योहारों की सूची नीचे दी गई है, त्योहारों की वर्षवार सूची देखने के लिए आप (और देखे) पर क्लिक करके 100 वर्षों की सूची देख सकते हैं।

सामान्य शुभ मुहूर्त

मुहूर्त किसी भी महत्वपूर्ण कार्य को शुरू करने के लिए शुभ समय निकलने के लिए प्रयुक्त होता है। मुहूर्त निकलने के लिए मुख्यतः पंचांग (तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण) का प्रयोग किया जाता है और क्षय/वृद्धि तिथि, अस्त बृहस्पति/शुक्र, अधिक मास/पुरुषोत्तम मास/मल मास, होलाष्टक, दक्षिणायन सूर्य आदि से ज्यादातर बचा जाता है। सामान्य मुहूर्त का उपयोग आने वाले दिनों में किसी भी महत्वपूर्ण कार्य को शुरू करने के लिए किया जा सकता है जहां उस कार्य से संबंधित कोई विशेष मुहूर्त उपलब्ध नहीं है। पूरे वर्षवार सूची के लिए, कृपया (और देखे) पर क्लिक करें। (गृह प्रवेश), (वाहन खरीदना), (व्यवसाय शुरू करना), (नामकरण), (अन्नप्राशन), (मुंडन), (कान छिदवाना), (विद्यारंभ) जैसे विशिष्ट मुहूर्त देखने के लिए कृपया (मुहूर्त) पर क्लिक करें।

आज का सूर्योदय, सूर्यास्त, चंद्रोदय, चन्द्रास्त, राहु काल

दिन-प्रतिदिन की महत्वपूर्ण गतिविधियों को तय करने के लिए सूर्य/चंद्र उदय और अस्त का समय महत्वपूर्ण होता है। आज के सूर्य उदय, चंद्र उदय, सूर्य अस्त, चंद्र अस्त, दिन की अवधि (घंटों में), रात की अवधि (घंटों में) और राहु काल के प्रारंभ और समाप्ति समय का समय नीचे देखें। दिनवार सूची देखने के लिए, कृपया (और देखे) पर क्लिक करें।

  • सूर्योदय समय
  • सूर्यास्त समय
  • चन्द्रोदय समय
  • चन्द्रस्त समय
  • दिनमान
  • रात्रिमान
  • राहु काल
आज का पंचांग

एक पारंपरिक हिंदू पंचांग है, जो शुभ तिथियों और महत्वपूर्ण समय के बारे में जानकारी प्रदान करता है। पंचांग शब्द दो संस्कृत शब्दों से बना है: "पंच" (अर्थात् पाँच) और "अंग" (अर्थात् भाग)। पचांग के 5 भाग होते हैं तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण जो प्रतिदिन की गणना में शामिल होते हैं और शुभ समय, ग्रहों के प्रभावों को समझने और महत्वपूर्ण कार्यों के लिए अनुकूल समय निर्धारित करने में सहायक होते हैं। आज के पंचांग का विवरण समाप्ति समय के साथ नीचे दिया गया है। भविष्य और पिछली तारीखों का पचांग जानने के लिए कृपया (और देखे) पर क्लिक करें।

  • तिथि
    (समाप्ति )
  • तिथि
    (समाप्ति )
  • पक्ष
  • नक्षत्र
    (समाप्ति )
  • नक्षत्र
    (समाप्ति )
  • योग
    (समाप्ति )
  • योग
    (समाप्ति )
  • करण
    (समाप्ति )
  • करण
    (समाप्ति )
  • करण
    (समाप्ति )
  • वार
  • पूर्णिमांत मास
  • अमांत मास
  • शक सम्वत
  • विक्रम सम्वत
आज का होरा

होरा संस्कृत का शब्द है, जो "अहो" (दिन) और "रात्रि" (रात) से लिया गया है, जो समय के विभाजन का प्रतिनिधित्व करता है। इसमें एक 24-घंटे की अवधि को छोटे, लगभग एक-एक घंटे के हिस्सों में बांटा जाता है, जिनमें से हर एक पर एक ग्रह का शासन होता है। होरा का शासक ग्रह उस समय की गुणवत्ता को प्रभावित करता है, जिससे उस घंटे में की जाने वाली गतिविधियों का असर माना जाता है। होरा प्रत्येक दिन में शुभ मुहूर्त निकालने में सहायक होती है। किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए कार्य प्रारंभ करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। सभी कार्य ग्रहों से किसी न किसी रूप में संबंधित होते हैं और यदि उस ग्रह की होरा में वह कार्य प्रारंभ किया जाता है तो उसके सफल होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।

  • दिन
  • रात्रि
आज का चौघड़िया

चौघड़िया का व्यापक रूप से उपयोग तब किया जाता है जब उस कार्य से सम्बंधित कोई विशिष्ट मुहूर्त उपलब्ध नहीं होता है और कार्य को जल्द से जल्द करना होता है। इसका उपयोग किसी जरूरी यात्रा को शुरू करने के लिए भी किया जाता है। चौघड़िया की गणना दिन और रात की अवधि को 16 भागों (दिन में 8 और रात में 8) में विभाजित करके की जाती है।

  • दिन
  • रात्रि