भद्रा

भद्रा

भद्रा (विष्टि करण)

पंचांग के ५ अंग होते है; तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण। तिथि के आधे भाग को करण कहते है, कुल ११ करण होते है। ७ वे करण को विष्टि या भद्रा कहते है। भद्रा या विष्टि करण में शुभ कार्य निषेध बताए गए हैं। यदि कभी भद्रा में शुभ काम को टाला नही जा सकता है तब भूलोक की भद्रा तथा भद्रा मुख-काल को त्यागकर, स्वर्ग व पाताल की भद्रा तथा पुच्छकाल में मंगलकार्य किए जा सकते हैं।

मुहुर्त्त चिन्तामणि के अनुसार जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होता है तब भद्रा का वास पृथ्वी पर होता है, चंद्रमा जब मेष, वृष, मिथुन या वृश्चिक में रहता है तब भद्रा का वास स्वर्गलोक में रहता है और जब चंद्रमा कन्या, तुला, धनु या मकर राशि में होता है तब भद्रा पाताल लोक में होती है। भद्रा 5 घटी मुख में, 2 घटी कंठ में, 11 घटी ह्रदय में और 4 घटी पुच्छ में स्थित रहती है।