समस्त ग्रह गोचर

समस्त ग्रह गोचर

सभी ग्रहो का गोचर राशि, डिग्री, वक्री और उदय / अस्त के विवरण सहित ग्रह का राशि से सम्बन्ध

ग्रह गोचर का तात्पर्य ग्रहों की राशि चक्र में गति और उनके मानव जीवन पर प्रभाव से है। हिंदू ज्योतिष में, ग्रहों के गोचर को गतिशील शक्तियों के रूप में देखा जाता है, जो व्यक्ति के जन्म कुंडली (जन्म पत्रिका) में उनकी स्थिति और पारस्परिक प्रभाव के आधार पर जीवन में परिवर्तन, अवसर, चुनौतियां और बदलाव लाते हैं। “ग्रह गोचर” शब्द संस्कृत से लिया गया है, जहां “ग्रह” का अर्थ ग्रह और “गोचर” का अर्थ गति या पारगमन होता है।

भारतीय ज्योतिष में 9 ग्रह हैं जिन्हें सामूहिक रूप से नवग्रह कहा जाता है। सूर्य और चंद्रमा को भी ग्रह माना जाता है क्योंकि पृथ्वी पर होने वाली घटनाओं और जीवों पर प्रभाव का पता लगाने के लिए पृथ्वी सभी गणनाओं के केंद्र में रहती है और पृथ्वी से देखने पर ये सभी 9 ग्रह (सूर्य और चंद्रमा सहित) पृथ्वी के चारों ओर घूमते दिखाई देते हैं। राहु और केतु अन्य ग्रहो की तरह भौतिक ग्रह नहीं हैं, इन्हें छाया ग्रह कहा जाता है। सूर्य (सूर्य के चारो ओर पृथ्वी का पथ) और चंद्रमा का परिक्रमण पथ, एक दूसरे को 2 बिंदुओं पर काटता है। उत्तर की ओर स्थित बिंदु को राहु कहा जाता है और दक्षिण की ओर स्थित बिंदु को केतु कहा जाता है। चूंकि इन बिन्दुओ की स्थिति किसी भी घटना पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं, इसलिए इन्हें भी भारतीय ज्योतिष में ग्रह माना जाता है।

प्लूटो और नेपच्यून भी ग्रह हैं लेकिन ये बहुत दूर हैं और इन्हें पृथ्वी का एक चक्कर (पृथ्वी से देखते हुए) पूरा करने में सैकड़ों साल लगते हैं, इसलिए इन पर विचार नहीं किया जाता है।

संपूर्ण ब्रह्मांड को 12 राशियों या 27 नक्षत्रों या 108 चरणों/पदों में विभाजित किया गया है। चरण या पद पूरे ब्रह्मांड को विभाजित करने वाली सबसे छोटी और सार्थक इकाई है, जहां प्रत्येक पद को एक अलग अक्षर सौंपा गया है जिसका उपयोग उस समय पैदा हुए बच्चे के नामकरण के लिए भी किया जाता है। इसलिए 108 अंक का अपना महत्व है क्योंकि यह पूरे ब्रह्मांड का प्रतिनिधित्व करता है।

गोचर विश्लेषण में मुख्य कारक:
गोचर का विश्लेषण करते समय ज्योतिषी कई कारकों पर ध्यान देते हैं:

  • भाव का सक्रिय होना: प्रत्येक ग्रह का गोचर जन्म कुंडली के जिस भाव में होता है, वह उस विशेष भाव को प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए, 10वें भाव का संबंध करियर से है, इसलिए इस भाव में किसी ग्रह का गोचर पेशेवर बदलाव ला सकता है।
  • दृष्टि और युति: गोचर ग्रह जन्म कुंडली के अन्य ग्रहों के साथ दृष्टि संबंध बनाते हैं, जो उनकी संयुक्त ऊर्जा को प्रभावित करते हैं। युति (जब दो ग्रह एक ही डिग्री पर होते हैं) अक्सर बहुत महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है।
  • वक्री गति: जब कोई ग्रह पृथ्वी से देखने पर अपनी कक्षा में पीछे की ओर चलता हुआ प्रतीत होता है, तो उसकी ऊर्जा और अधिक तीव्र और आत्म-विश्लेषणात्मक हो जाती है।

गोचर अवधि का सारांश

ग्रह प्रत्येक राशि में गोचर अवधि पूरा चक्र पूरा करने का समय
सूर्य (Sun) 1 माह 1 वर्ष
चंद्रमा (Moon) 2.5 दिन ~27.3 दिन
मंगल (Mars) 45 दिन से 2 माह ~2 वर्ष
बुध (Mercury) 14 से 30 दिन ~1 वर्ष
बृहस्पति (Jupiter) 12 से 13 माह ~12 वर्ष
शुक्र (Venus) 23 दिन से 2 माह ~1 वर्ष
शनि (Saturn) ~2.5 वर्ष ~29.5 वर्ष
राहु/केतु (Rahu/Ketu) ~18 माह ~18 वर्ष


ज्योतिष में ग्रहों की चाल को गोचर कहा जाता है, किसी भी ग्रह का एक नई राशि में प्रवेश करना हमेशा से एक महत्वपूर्ण घटना होती है। राशि और ग्रह के बीच संबंध के साथ सभी ग्रहों की दिनवार चाल का उल्लेख नीचे किया गया है। उपयोग किए गए रंग का मतलब राशि और ग्रह के बीच संबंध से है, जिसे चार्ट तालिका के अंत में बताया गया है।

यदि कोई ग्रह सूर्य के बहुत निकट आ जाता है तो उसे अस्त माना जाता है, जो # चिन्ह से दिखाया गया है। अस्त ग्रह, सूर्य से निकटता के कारण अपना पूर्ण प्रभाव नहीं दे पता है। साथ ही, पृथ्वी से देखने पर यदि कोई ग्रह पीछे की ओर जाता हुआ प्रतीत होता है तो उसे वक्री कहते हैं, जो * चिह्न से दिखाया गया है। वक्री ग्रहों का प्रभाव अधिक होता है क्योंकि वे अपनी औसत दूरी की तुलना में पृथ्वी के बहुत करीब आ जाते हैं। राहु और केतु हमेशा वक्री होते हैं।

तिथि

सूर्य

चंद्रमा

मंगल

बुध

गुरु

शुक्र

शनि

राहु

केतु

तिथि
सूर्य
चंद्रमा
मंगल
बुध
गुरु
शुक्र
शनि
राहु
केतु
उच्च राशि मित्र राशि स्वराशि सम राशि शत्रु राशि नीच राशि